जमात-उल-विदा (Jamat-Ul-Vida Festival)
जमात उल विदा एक अरबी शब्द है, जिसका मतलब है कि जुमे की विदाई। इस पर्व को पूरे विश्व भर के मुस्लिमों द्वारा काफी धूम-धाम तथा उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व रमजान के अंतिम शुक्रवार यानि जुमे के दिन मनाया जाता है। वैसे तो पूरे रमजान के महीने को काफी पवित्र माना जाता है लेकिन जमातुल विदा के इस मौके पर रखे जाने वाले इस रोजे का अपना ही महत्व है।
इस दिन देश भर के मस्जिदों में नमाज पढ़ने वालों कि भारी भीड़ देखने को मिलती है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि जो भी व्यक्ति इस दिन को अल्लाह की इबादत में बिताता है, उसे अल्लाह की विशेष रहमत प्राप्त होती है और अल्लाह उसके हर गुनाहों को माफ कर देता है।
जमात-उल-विदा 2020 (Jamat Ul-Vida 2020)
वर्ष 2020 में जमात-उल-विदा का पर्व 21 मई, गुरुवार से 22 मई शुक्रवार तक मनाया जायेगा।
जमात-उल-विदा क्यों मनाया जाता है? (Why Do We Celebrate Jamat-Ul-Vida)
जमात-उल-विदा मुस्लिम समुदाय का एक प्रमुख पर्व है। यह त्योहार रमजान के आखरी शुक्रवार को मनाया जाता है। इस दिन की नमाज का मुस्लिम समुदाय में विशेष महत्व माना गया है। इस पर्व को लेकर ऐसी मान्यता है कि इस दिन पैगम्बर मोहम्मद साहब ने अल्लाह की विशेष इबादत की थी।
यही कारण है कि इस शुक्रवार को बाकी के जुमे के दिनों से ज्यादे महत्वपूर्ण बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि जमात-उल-विदा के दिन जो लोग नमाज पढ़कर अल्लाह की इबादत करेंगे और अपना पूरा दिन मस्जिद में बितायेगें। उसे अल्लाह की विशेष रहमत और बरकत प्राप्त होगी।
इसके साथ ही यह भी कहा जाता है कि इस दिन अल्लाह अपने एक फरिश्ते को मस्जिद में भेजता है, जोकि लोगों की नमाज को सुनता है और उन्हें आशीर्वाद देता है। इस दिन लोग साफ-सुधरे कपड़े पहनकर मस्जिद में नमाज अदा करने जाते है और अल्लाह से अपने पापों के लिए क्षमा मांगते है और भविष्य में सही मार्ग दर्शन के लिए दुआ करते है।
इस दिन के महत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ऐसी मान्यता है इस दिन खुद आसमान, फररिश्ते मुस्लिमों के गम पर रोते है क्योंकि रमजान का यह पवित्र महीना समाप्त होने वाला होता है। यहीं कारण है इस्लाम धर्म के अनुयायियों द्वारा जमात-उल-विदा इस पर्व को इतने धूम-धाम के साथ मनाया जाता है।
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